बुढ़िया के गायब होते ही गुफा की चट्टानें चटकने लगीं थी। सारी कांच की शीशियां कंपन के साथ गिरने लगीं। सेजू को ना चाहते हुए भी अब उस गुफा से बाहर जाना था। उसने अपने कदम गुफा के बाहर जाने वाले रास्ते पर बढ़ा दिए। चारों तरफ से शीशियों के टूटने और चट्टानों के चटकने की आवाजें आ रहीं थीं। जगह जगह कांच के टुकड़े और उसमें शीशियों से निकला पदार्थ पड़ा हुआ था। सेजू अब असमंजस में पड़ गयी थी उसके इक ओर कुआँ तो इक और खाई थी। यहां गुफा में तूफान आया हुआ था और बाहर न