अभी तो बोर्ड पेपर होने में चार-पांच महीने है, फ़िर पता नहीं अभी से फेयरवेल की ज़रुरत ही क्या थी! ना तो ये बेवक़्त का फेयरवेल होता ना ही हम आज ऐसे यहाँ होते…..प्रज्ञा बाहर देखते हुए हताश होकर बोलती है। आंटी यहाँ हमारे स्कूल में ऐसा ही होता है...मैंने भी जब यहाँ से अपनी इंटर की थी तब भी इसी वक़्त फेयरवेल पार्टी हुई थी। लेकिन उसकी कोई वजह भी तो होगी गुंजन? अविनाश हाँ अंकल वो अब कुछ टाइम में बच्चों के प्री-बोर्ड एक्साम्स शुरू हो जाएंगे और फ़िर प्रैक्टिकल वगेरा...जिसके बाद टाइम ही नहीं बचता और प्री-बोर्ड