------------------------ रवि -शशि के कमरे में से आज फिर शोर आ रहा था दोनों जुड़वाँ, दोनों की आदतें एक सी ही दोनों एक ही कक्षा में और दोनों के बीच चकर-चकर एक जैसी ही न एक झुकने को तैयार, न दूसरा रुकने को दानी से दोनों ही बहुत प्यार करते, बहुत सम्मान भी ! बहुत कुछ सीखते थे उनसे ! कहानियाँ सुनने का भारी शौक ! और दानी --उनका बस चलता तो सारे बच्चों को गले में चिपकाए घूमतीं दानी पर यह बात सौ फ़ीसदी सही बैठती थी, 'मूल से ज़्यादा ब्याज़ प्यारा ' कभी-कभी