भवान्यष्टकम्

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भवानी मां को स्तुति के आठ मंत्र में गतिस्त्वं गतिस्त्वं त्वमेका भवानि।हे मां दुर्गा तुम्ही गति हो, तुम्हीं गति हो, तुम्हीं मेरी एकमात्र गति हो।यह प्रार्थना करते हैं।भवान्यष्टकम् आदि गुरु शंकराचार्य द्वारा रचित सर्वश्रेष्ठ एवं कर्णप्रिय माता दुर्गा भवानी की स्तुतियों में से एक है।न तातो न माता न बन्धुर्न दाता न पुत्रो न पुत्री न भृत्यो न भर्ता ।न जाया न विद्या न वृत्तिर्ममैव गतिस्त्वं गतिस्त्वं त्वमेका भवानि ।१।अर्थ : हे भवानी ! न पिता, न माता, न बंधु, न दाता, न पुत्र, न पुत्री, न सेवक, न स्वामी, न पत्नी, न विद्या, न मन शाश्वत रूपसे मेरा है,