नर्क - 12

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"आयु मेरी तुमसे ये अपेक्षा न थी। तुमने उस ग्रह को सिर्फ इसलिए नष्ट किया क्यूँकि तुम प्राचीन जीवन मिटाकर नवीन रचना करना चाह रहे थे?? तुमने ये भी न सोचा कि पिताजी को ठेस लगेगी, एक-एक सभ्यता को आज वाली स्थिति में आने में सहस्रों वर्ष लगे है। रक्त और स्वेद (पसीने) की कितनी बूंदे बही है। प्रतीत होता है कि तुमने अपना मानसिक संतुलन खो दिया है। अग्रज ( बड़ा) के प्रेम व पिता के संस्कारों का विस्मरण (भूलना) कर दिया है।" आयुध ने सामने खड़े आयु को धिक्कारते हुए कहा। आयु-" ज्येष्ठ (बड़ा), रक्षराज षड़यंत्र रच रहे