मेरी दादी

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बहुत सौभाग्यशाली मानता हूँ खुद को कि मेरी परवरिश एक भरे पूरे परिवार में हुई जहाँ मुझे हर रिश्ते में बहुत प्यार और अपेक्षित सम्मान मिला| कहते हैं कि एक बच्चे के आरंभिक जीवन में दादा-दादी एवं नाना-नानी का बहुमूल्य योगदान होता है| बच्चे अपनी शुरुआती नैतिक शिक्षा घर के बुजुर्गों से सुनी कहानियो से ही प्राप्त करते हैं| मेरे जीवन में भी मेरे दादा-दादी एवं नाना-नानी का प्रभाव पड़ना स्वाभाविक ही था| यदि मैं अपनी दादी की बात करूँ, तो वो ज्यादा पढ़ी लिखी तो नहीं थीं किन्तु एक जमींदार परिवार की मुखिया होने के नाते अपने परिवार और