ममता की परीक्षा - 81

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छपाक की ध्वनि के साथ ही बिरजू के भागते क़दम एक पल को ठिठके थे लेकिन फिर अगले ही पल वह दीवानों की भाँति दौड़ पड़ा था कुएँ की तरफ। उसे बेतहाशा कुएँ की तरफ भागते देख उसके युवा साथी भी उसके पीछे तेजी से दौड़ पड़े और इससे पहले कि भावुकता में आकर वह कोई बेवकूफी करता उसके युवा साथियों ने उसपर काबू पा लिया। गाँव के सभी बड़े बुजुर्ग भी कुएँ की जगत पर पहुँच गए थे। कुआँ बहुत गहरा था। बिरजू और चौधरी रामलाल को गाँववालों ने अपने घेरे में सुरक्षित कर लिया था, जबकि बाकी गाँववाले