चोरनी शाम होने को थी ,चिड़िया अपने घोंसले की ओर उड़ चली थी , सूरज ढलने के साथ सारे आसमान को नारंगी बना गया था ।एक -एक पल के साथ नारंगी रंग स्याह होता जा रहा था ।चुन्नी तेज कदमों से खेत की पतली मेड़ों पर सम्भाल कर चली जा रही थी ,अभी भी उसे घर पहुचने में देर थी ।उसने अपनी चाल की रफ़्तार तेज कर दी , लेकिन उसे पता था की वो दौड़ नही सकती इन पतली मेड़ों पर ।कटाई करते - करते कब शाम गहरा गयी उसे आभास नही हुआ ।पंछियो का झुंड पतंग का आकर