Exploring East India and Bhutan-Chapter -25 सोलवां दिन मानसी पिछले दो दिनों से परेशान थी, जाहिर है, भसीन के मना करने के बाद उसे आगे के रास्ते बंद नजर आ रहे थे. इसलिए वह हमारे साथ ना जा कर होटल में ही रही थी व् लगातार पता नही किस-किस को कॉल कर रही थी, हमने भी लगा कि उसे सोचने का समय दिया जाये, आखिर उसके भविष्य का सवाल था, और फैसला भी उसी को लेना था. वापिस आ कर हम मानसी के रूम में चले गये, मानसी ने मुस्करा कर हमारा स्वागत किया “भैया, क्या लेंगे” “कॉफ़ी चलेगी”