हीर रांझा की एक अधूरी प्रेम कहानी - 4

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"रांझा चलते-चलते चेनाब नदी के किनारे पहुँचा। दिन में तीसरे पहर जब सूरज पश्चिम दिशा में ढ़लने के लिए चल पड़ा, उस समय रांझा चेनाब नदी के किनारे खड़ा था। वहां कई और यात्री जमा थे जो नदी पार करवाने वाले मांझी लुड्डन का इंतजार कर रहे थे।रांझा ने मांझी से कहा,’ऐ दोस्त, खुदा के लिए मुझे नदी पार करा दो।’ लुड्डन मांझी अपने तोंद पर हाथ फेरता हुआ हंसने लगा और उसका मजाक उड़ाते हुए बोला, ‘खुदा का प्यार हमारे लिए कोई मायने नहीं रखता। हम तो पैसे के लिए नदी में नाव चलाते हैं।’रांझा उससे गुजारिश करते हुए