एक महीने बाददेहरादून उत्तराखंड " गार्गी कहां है तू,,,, मैंने सारा लगेज पैक कर लिया है,,,, बाकी कुछ बचा हो तो भी देख ले,,,,, हमे एयरपोर्ट के लिये निकलना है,,,,," रूपिका नें अपने बालो का जुडा बांधते हुए कहा । मानावत को गये एक महिना हो चुका था, और उन दोनो बहनो नें इस एक महिने में खुद को कैसे सम्भाला था यह तो वह दोनो ही जानती थी और इब वो दोनो अपने डैड मनावत का सारा बिजनेस अमेरिका से ही सम्भालना चाहती हैं, क्योंकि वह दोनों ही देहरादून में बिल्कुल भी नहीं रहना चाहती थी । उनकी पढाई