चक्र - 7

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घर खाने को दौड़ रहा था, क्योंकि खाली था। जिस पत्नी और बच्ची की अब से पहले कोई जरूरत महसूस न होती, लता की ओर से ठुकराए जाने पर मन अब उसी की रिक्तता महसूस कर रहा था। रात मुश्किल से कटी। मन इतना बेचैन कि कॉलेज भी नहीं गया। नौकरी छूटे तो छूट जाए, बस अब मरना सूझ रहा था। और तभी लगा कि एक जगह है, जहाँ चैन मिल सकता है। वही ब्रह्म-साधना आश्रम, जो उस शिविर के बाद शहर में स्थानीय इकाई के रूप में स्थापित हो गया है। सो, हारकर वहीं चला आया।कक्ष