अगले कुछ हफ्ते अनिका की जिंदगी एक पैटर्न में गुजरने लगी। वोह ज्यादा से ज्यादा समय क्लिनिक में बिताने लगी। उसने दिन में अपने कंप्यूटर पर समय बिताना जारी रखा बल्कि वोह तोह क्लिनिक अपॉइंटमेंट में ही अपना काम जारी रखा। शाम के वक्त काफी देर लाइब्रेरी में अपना समय बीतने के बाद ही वोह अपने मास्टर बेडरूम की तरफ रुख करती थी। अब वोह कोई सोने का दिखावा नहीं करती थी सुबह के वक्त। यहां तक की वोह रात को डिनर पर भी अभय का इंतजार करती ताकी साथ में खाना खा सके। थोड़ी बहुत कोई बातों जैसे की