कामवाली बाई - भाग(२३)

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गीता की आँखों के सामने ही राधेश्याम को अन्तिम संस्कार के लिए ले जाया गया,गीता के लिए वो क्षण असहनीय था,वो फूट फूटकर रो पड़ी,उसकी माँ ने उसे बहुत समझाया और गीता अपनी माँ के सीने से फूट फूटकर रो पड़ी,वो अपनी माँ से रोते हुए बोली.... आखिर राधे ने किसी का क्या बिगाड़ा था?जो भगवान ने उसे अपने पास बुला लिया,एक सच्चा दोस्त मिला था मुझे,वो भी भगवान ने छीन लिया, चुप हो जा बेटा!अच्छे इन्सानों की भगवान को भी जरूरत होती है,इसलिए शायद उन्होंने राधे को अपने पास बुला लिया,कावेरी बोली।। लेकिन क्यों?मेरे साथ ही ऐसा क्यों होता