मैं जब कमरें पहुँचा तो छलिया ने पूछा.... कपड़े पहुँचाने में कोई दिक्कत तो नहीं, हुई किसी ने कुछ कहा तो नहीं..... मैनें कहा,नहीं! लेकिन मज़ा तो आया होगा इतनी सारी लड़कियांँ देखकर,छलिया बोला।। मैं तेरे जैसा लफंगा नहीं हूँ,मैनें कहा... अच्छा!बेटा! मुझसे छुपा रहा है,मैं लफंगा ही सही लेकिन तेरी आँखें तो कुछ और ही बता रहीं हैं,छलिया बोला।। ऐसी कोई बात नहीं है,मैनें कहा, वो तेरे गालों की लाली बता रही है कि कोई बात तो जरूर है,छलिया बोला।। तू तो ऐसे ही मेरे मज़े ले रहा है,मैनें कहा।। ना भाई!हम तो उड़ती हुई चिड़िया के पर गिन