कहानी प्यार कि - 28

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सुबह हो चुकी थी.. अनिरूद्ध , संजना और सौरभ कमरे में बैठे थे... वहा सन्नाटा छाया हुआ था.. अनिरूद्ध अपनी सोच में खोया हुआ था.. और संजना भी उसे देख रही थी.." देखो अनिरुद्ध... तुम ज्यादा टेंशन मत लो.. सब सही हो जायेगा.. मुझे तुम पर पूरा भरोसा है.. " संजना ने अनिरुद्ध का हाथ पकड़ते हुए कहा..यह सुनकर अनिरुद्ध हल्का सा मुस्कुराया.." एक बात पूछूं संजू ? " अनिरूद्ध ने संजना की और देखते हुए कहा.." हा पूछो " " तुम्हे मुझ पर इतना भरोसा क्यों है ? मेरा मतलब है अगर तुम्हारी जगह कोई और लड़की होती तो