उजाले की ओर –संस्मरण

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नमस्कार स्नेही मित्रों अक्सर ऐसा होता है कि हम अनावश्यक रूप में ऐसी परेशानियों में फंस जाते हैं जो हमने नहीं की होतीं लेकिन फिर भी उसमें किसी पल अविवेकी होने के कारण हम बिना बात की उस स्थिति को अपने ऊपर ओढ़ लेते हैं। इससे होता यह है कि हम ना चाहते हुए भी ऐसी कठिनाई में पड़ जाते हैं कि हम फँस तो जाते हैं लेकिन उसका कोई हल दिखाई नहीं देता। इसलिए हम बिना बात ही परेशान हो जाते हैं। हम सब इस बात से वाकिफ़ हैं कि मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है इसलिए समाज में रहकर