प्यार का ज़हर - 53

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सरस : अरे दादी क्या कर रहे हो यहा पे बैठे बैठे.संतोष : हा बेटा बस बैठे है. सब अपने अपने काम मे लगे है . तो क्या कर सकते है.गोविंद : अरे सरस बेटा मेरा ना बहार जाने का कर रहा है. चलो ना बेटी जाकर आते है.संतोष : सरस देख लो तुम्हारे दादा जी को. भरे बुढापे मे घुमने जाना है. पहले खुद्की हालत तो देख लो कमसे कम अपनी हालत का खयाल तो रख लो.सरस : हाए आप दोनो लड़ते हुए कितनी अच्छे लगते हो. नज़र ना लगे किसी की.गोविंद : अरे बस बस सरस बेटा अब