चरित्रहीन - (भाग-9)

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चरित्रहीन.......(भाग -9)हम जो सोचते नही वो जब हो जाता है तो समझ ही नहीं आता कि ये सच है या सपना। मुझे भी ऐसा लग रहा था कि ये एक बुरे सपने से ज्यादा नही है, अभी सब ठीक हो जाएगा...झूठी दिलासा देने वाला भी कोई नहीं था...! अगले दिन मम्मी पापा का अंतिम संस्कार किया गया। मेरे दिमाग में बस यही था कि मैं वरूण से बड़ी हूँ, मुझे उसको संभालना है। बहुत बिलख बिलख कर रो रहा था वो बिल्कुल बच्चों के जैसे....! वो बार बार यही कहता जा रहा था कि," दीदी हमने किसी का क्या बिगाडा