रॉकी की हालत देखकर सुशीलादेवी की आँखें भर आईं, लेकिन झिंझोड़ते हुए राजू को एक जोर का धक्का देते हुए रॉकी ने उसपर गंदी गालियों की झड़ी लगा दी। बेशर्मी से हँसते हुए राजू उससे कहता रहा, "अरे एक बार उठकर तो देख ! आँटी आई हैं।"करवट बदलकर आँखें मलते हुए रॉकी बोला, " आँटी ! कौन आँटी ?" और फिर सामने सुशीलादेवी को खड़ी देखकर उठ खड़ा हुआ और सींखचों के पास आते हुए शिकायती लहजे में बोला, "क्या मम्मा ! तुम को पता है तुम्हारा बेटा हवालात में है और तुम यहॉं खड़ी होकर पता नहीं क्या कर