वह कमरे में चुप बैठी, ख़यालो में खोई हुई थी जब आसिफ़ा बेगम उसके कमरे में आई थी, बिना दरवाज़ा खटखटाए, वह बस जैसे रेड डालने आई थी। अरीज उन्हें देखते ही अंदर से सहम गई थी और अपनी जगह से उठ भी गई थी, वही हाल अज़ीन का भी था। “बहुत हो गई ख़ातिरदारी, तुम्हारे बाप-दादा ने तुम्हारे लिए कोई नौकर नहीं छोड़ गए हैं, जो तुम महारानी बनकर इस कमरे में आराम फरमा रही हो।“ जाने आसिफ़ा बेगम की ज़ुबान थी या दो धारी तेज़ तलवार, जो ना आव देखती थी ना ताव, बस धुएंधार वार पे वार