यह उसके घर के पेपर्स थे, वह घर जिसमें वह रहता था, वह घर जो उसके नाम था, और अब ज़मान ख़ान चाहते थे कि वह यह घर अरीज के नाम कर दे। आख़िर क्यों? उसे समझ नहीं आ रहा था, लेकिन अब वह कुछ कर नहीं सकता था, निकाह हो चुका था और अब आज या कल हर हाल में उसे अरीज को उसका हक़ देना था इसलिए उसने अपने दिमाग़ में उठ रहे कईं सवालों को पीछे छोड़ पेपर्स साइन कर दिया था और गुस्से से अरीज के सामने टेबल पर उन पेपर्स को पटक दिया था, सब