पंचतंमात्रा साधना –पहले बताया जा चुका है कि मन ज्ञानेन्द्रियों के जरिये रसानुभूति करता है आंख, नाक ,कान ,त्वचा, और जीभ इनसे मनको ज्ञान होता है इनके साथ संयोग कर इनके गुणों से भोग भोगता है । पंच तन्मात्रा साधना से पहले यह समझना भी जरूरी है कि शरीर में पांच तत्व हैं इन पांचो तत्वों की पांच ज्ञानेन्द्रियां हैं – पृथ्वी तत्व की नाक है ,जल तत्व की जीभ है, अग्नि तत्व की आंखें हैं, आकाश तत्व की कान हैं, वायु तत्व की त्वचा है । इनके कार्य ही इनके गुण है जैसे – नाक का सूंघना गुण है,