विवाह के पश्चात विवेक अपनी पत्नी गंगा को लेकर गाँव पहुँचा। इतने वर्षों के बाद अपने गाँव की धरती पर पहुँचते ही गंगा की आँखों में अपना बचपन, यमुना के साथ बिताए खूबसूरत लम्हे, आँखों में दृष्टिगोचर होने लगे। उसे दूर से जैसे ही गंगा-अमृत दिखाई दिया, उसे घुंघरुओं की आवाज़, कुएँ की तरफ़ दौड़ती हुई यमुना दिखाई देने लगी। यूँ तो हमेशा ही वह घटना गंगा को याद आती रहती थी; लेकिन आज उसे ऐसा आभास हो रहा था मानो वह सब साक्षात अभी घट रहा हो। विवेक कार ड्राइव कर रहा था। उसने गंगा की तरफ़ देखा। गंगा