गंगा का हाथ अपने हाथ में लेते हुए विवेक ने कहा, “गंगा उस दिन तुम्हारे परिवार के अलावा एक और छोटा बच्चा पूरी जान लगा कर चिल्ला रहा था। वह कह रहा था बाबूजी ले लेने दो ना उसे पानी, बाबूजी बचा लो ना उस दीदी को, बाबूजी लेने दो ना उसे पानी, बचा लो ना दीदी को। किंतु ७-८ साल के उस नन्हे बच्चे की आवाज़ उसके बाबूजी के कानों तक पहुँच ना पाई क्योंकि वह सुनना ही नहीं चाहते थे। लेकिन अब वह बच्चा जवान हो चुका है और अब वह यमुना के बलिदान को इंसाफ़ दिलाएगा।” “यह