अरुणा और सौरभ बहुत ही नेक दिल इंसान थे। एक दिन सौरभ ने अरुणा से कहा, “अरुणा हमें गंगा के लिए ज़रूर कुछ करना चाहिए। ये बहुत ही अच्छे लोग हैं, बस हालातों से हारे हुए हैं।” “हाँ सौरभ हमारे घर को और मम्मी जी को कितने अच्छे से संभाला हुआ है इन लोगों ने। इतना अच्छा परिवार अपने कामकाज के लिए मिल जाना तो बड़े ही भाग्य की बात होती है।” “हाँ अरुणा तुम बिल्कुल ठीक कह रही हो, मैं सोच रहा हूँ, हम गंगा को पढ़ाने की जिम्मेदारी ले लें, क्या कहती हो?” “तुमने तो मेरे मन की