खूनी किताब-एक रहस्य

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अरे अवंतिका ! अवन्ति(प्यार से) कहाँ हो यार जल्दी करो नहीं तो सेमिनार खत्म हो जायेगा.....वैसे भी बड़ी मुश्किल से पिछली बार एंट्री मिली थी। आ रही हूं मीत यार ! तुम भी ना कभी चैन से तैयार नहीं होने देते मुझे ......अवंतिका साड़ी ठीक करती हुयी कमरे से बाहर आती है। अवंतिका को देखकर मीत के चेहरे पर मुस्कान आ जाती है और वो अवंतिका को प्यार से छेड़ते हुए कहता है की-आज तो कोई बड़ा ही खूबसूरत लग रहा है। इस पर अवंतिका एक बड़ी सी बनावटी मुस्कान मीत को दिखाकर बोलती है-हाँ! हाँ पता है अब मक्खन