वॉचमैन को किसी क्लासरूम में कुछ रौशनी सी लगती है….वो आँखें चौड़ाकर और घूरता है तो एक बार फ़िर उसे रौशनी जलती-बंद होती हुई दिखाई देती है...वो तुरंत पीछे हटकर वो ….'सर मुझे किसी क्लास में रौशनी सी दिखी अभी' अविनाश को बताता है…..रौशनी! कैसी रौशनी! इतनी तेज़ बिजली दमक रही है इसी की चमक होगी…वैसे भी हम एक एक क्लासरूम छान चुके हैं अब हमारे अलावा यहाँ कोई नहीं...अविनाश ये कहकर उसकी बात को टाल देता है। नहीं साहब मैंने सच में टॉर्च की रौशनी देखी…...वॉचमैन की बात को यहीं काटते हुए, नील भी तंज सा कसते हुए 'तुम्हारा