अपंग - 52

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52 ----- अगले दिन अपने समय पर भानु ऑफ़िस पहुँच गई थी लेकिन कुछ अनमनी सी थी । आजकल रिचार्ड को देखकर उसका दिल घड़कने लगता और पेट में कुछ गुड़गुड़ होने लगती । कितना समझदार था रिचार्ड जो उसने राजेश और रुक का उस ब्रांच से कहीं और ट्रांसफर कर दिया था । वैसे वह उसे फ़ायर भी कर सकता था, कोई भी बहाना बनाकर। वह मालिक था, अपनी फ़र्म का, उससे कोई क्या पूछ सकता था? आफ़िस में सब कुछ ऐसा ही रहता, नार्मल --जैसे और सब एम्प्लॉई रहते, वैसे ही वह भानु के साथ रहता। वहाँ जब