भूतिया खजाना

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भूतिया खजाना... लेखक :- सोनू समाधिया रसिक एक तांत्रिक पुराने खंडहर किले में खजाने के लिए यज्ञ कर रहा था।तभी वहां आते हुए घोड़े की टापें सुनाई देती हैं। जिससे वह तांत्रिक डर जाता है। लेकिन वहाँ न कोई घोड़ा दिख रहा था और न ही कोई शख्स दिख रहा था।उस अदृश्य और अनजान शक्ति के वहाँ आ जाने से यज्ञ की आग बुझ जाती है। तभी वह अंजान शक्ति तलवार लेकर उस तांत्रिक की ओर बढ़ती है और उस पर कई जानलेवा हमला करती है। जिससे उस तांत्रिक की मौत हो जाती है। अभी तक खजाने के लालच में