मेरे घर आना ज़िंदगी - 14

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(14) नंदिता अंदर से बहुत हल्का महसूस कर रही थी। शादी के बाद उसने मकरंद पर कभी जाहिर नहीं होने दिया था पर अपने मम्मी पापा की नाराज़गी से वह बहुत आहत थी। आज कुछ ही घंटों में सब बदल गया था। ऐसा लग रहा था कि जैसे सबकुछ किसी परी कथा का हिस्सा हो। किसी देवदूत ने अचानक जादू कर दिया हो और सबकुछ ठीक हो गया हो। उसका देवदूत मकरंद ही था। उसने ही नंदिता को अपने पापा को फोन करने के लिए प्रेरित किया था। मकरंद उसके बगल में लेटा था। नंदिता ने उसे अपनी बाहों में