चरित्रहीन.........(भाग-3)मैं चुपचाप जा कर गाड़ी में बैठ गयी। पापा पूरा रास्ता बिल्कुल चुप रहे शायद ड्राइवर की वजह से कुछ नहीं बोल रहे थे। मैं पापा के पूछने वाले सवालो के जवाब मन ही मन तैयार कर रही थी। कार में पसरी चुप्पी तूफान के आने से पहले वाली शांति लग रही थी... ऐसा लग रहा था कि घर न जाने कितना दूर है। कुछ तो सड़क पर जाम लगा था पहले शक्तिनगर चौक पर फिर बिरतानिया की रेडलाइट पर तो अक्सर बहुत टाइम लग जाता था....आगे पंजाबी बाग जनरल स्टोर पर भी वही रेडलाइट की जाम....लंबी लंबी रेडलाइट उस