कोट-२५नींद में रहस्य:जाड़ों के दिनों की बात थी। पहाड़ी गाँव में रात का सन्नाटा छा चुका था। ठंडा था लेकिन बहुत अधिक नहीं था। घड़ी देखकर तब कोई सोया नहीं करता था। खाना लगभग शाम ७-८ बजे तक हो जाया करता था। खाना खाने के बाद किस्से-कहानियां कही जाती थीं। रहस्यमय, डरावनी, भूतों की, सामाजिक। महाभारत और रामायण की कहानियां लोक कथाओं के रूप में कही जाती थीं। रामलीला लोग बड़े चाव से देखने जाते थे। सभी कार्य करने के बाद सबको चैन की नींद लेने की आदत होती थी। उस दिन दोनों भाई अलग -अलग चारपाई पर लेट गये