करोड़ों-करोड़ों बिजलियां - 6

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अध्याय 6 वैगई ने सांस लेकर एक क्षण आश्चर्य से ईलम चेरियन को देखा | “मैं दयानिधि ट्रस्ट के मुखिया नित्यानंदन से बात कर रही थी आपको कैसे पता…………?” “मैं अभी वहीं से तो आ रहा हूँ |” “क्या ! वहीं से आ रहे हो........?” “हाँ ! पिछले साल मेट्टिओचै पत्रिका और दयानिधि ट्रस्ट दोनों ने मिलकर ‘महिलाओं की दूसरी खुशी’ के उत्सव में पच्चास युवा विधवाओं को कपड़े सीने की मशीन दी थी | उसके बारे में उनकी तरफ से एक पेमेंट आना बाकी था | उसे मांगने गया | सीढ़ियों में चढ़ते समय ही आपका नाम सुनाई दिया,