कहानी प्यार कि - 26

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अनिरूद्ध संजना को लेकर सी एन टावर की और निकल गया.... शाम हो चुकी थी और धीरे धीरे अंधेरा छाने लगा था... उनकी गाड़ी उस बड़े से टावर के पास बने हुए एक खूबसूरत गार्डन के पास रूकी... संजना जैसे ही बाहर आई वहा का नजारा देखकर वो शॉक्ड रह गई... अंधेरे में रोशनी से प्रकाशित वो टावर बहुत ही सुन्दर दिख रहा था.. " अमेजिंग...." संजना के मुंह से सिर्फ यही निकल पाया... " अभी ये तो कुछ नहीं.. चलो तुम्हे वहा ले चलता हूं..." अनिरुद्ध संजना का हाथ पकड़ कर उसे टावर की तरफ ले जाने लगा.. वहा