“सॉरी यार.. फालतू तुम्हारे इतने चक्कर लगवा दिए।", कैब में अपने साथ बैठे ध्रुव को देख कर, निया बोली।“कोई नहीं।", ध्रुव मंद सा मुस्करा कर बाहर देखने लगा।थोड़ी देर में निया की बिल्डिंग के बाहर पहुंचे, तो ध्रुव निया की मदद करते हुए, लहंगे का बैग ऊपर तक ले गया।निया ने घंटी बजाई, तो सिमरन ने दरवाज़ा खोला, और धीरे से बोली।“हाय.. सॉरी, वो तुम्हें भी परेशान कर दिया।"“नहीं नहीं.. कोई नहीं।""अंदर आओ।", ध्रुव से लहंगे का बैग लेते हुए, सिमरन ने उसे थोड़ा साइड करके रख दिया।“आंटी कहाँ है?”, निया ने पूछा।“अंदर है, सफर से थकी हुई थी, तो