“ध्रुव.. कहाँ रुक गए थे तुम?”, अपने पीछे, घुटने पे बैठे ध्रुव को देखते हुए निया बोली।“अ.. अ.. जूते पहन रहा था।", ध्रुव ने निया को देखते हुए धीरे से कहा।“पर तुमने तो चप्पल पहनी हुई है ना", उसकी चप्पलों की ओर इशारा करके निया बोली।“हाँ.. तो वहीं ना.. आदत से मजबूर होकर मैं जूते बांधने बैठ गया की तभी पता लगा, की मैंने जूते पहने ही नहीं, बताओ..”“अ. अ. मैं क्या बताऊ?”“यही की कितना पागल हो गया हूँ मैं।", ध्रुव फट से उठ कर निया की तरफ़ जाता हुआ बोला।“अ. अ. हाँ लग तो यही रहा है।", निया धीरे