25 आज हमें चुग्गु से झैदी तक ज़ाना था | मानस परिक्रमा का आँखरी दिन | पानी के ऊपर बैठे पंछी देखकर अचरज हुआ | उनको क्या मिलता होंगा यहाँ खाने के लिए ? गुर्लामांधाता पर्बत के दर्शन, रास्ते में नजदीक से हो गए | गुलाबकी पंखुडीयोंकी तरह पर्बत का रंग था | अब