एक समय की बात है , मैं और मेरा दोस्त ऐसे ही स्कूल के बाहर टहल रहे थे नही बंक नही किया था सुबह हम दोनो स्कूल जल्दी गए थे उस दिन, तो सोचा की चलो चलते है कही बाहर टहल आते है तब तक, हा अभी स्कूल की प्रार्थना घंटी बजने में भी काफी समय था तो हम दोनो ने यह निश्चय किया और चल दिए बाहर की ओर एक खुली हवा मस्त गगन में एक आजाद पंछी की तरह कम से कम आधा घंटे का समय था हमारे पास ये सोचकर हम बातो में मस्त मगन होके कब