ममता की परीक्षा ( भाग - 71 )घर में सभी भोजन कर चुके थे। चौधरी रामलाल बाहर खुले में अपनी खटिया बिछाकर उसपर लेटे हुए थे। खटिये के नीचे एक मिट्टी के बर्तन में भैंस के उपलों को सुलगा दिया गया था। इस साल ठंड अधिक नहीं थी लेकिन हमेशा की तरह ठंड से बचने के लिये वह सजग थे। अडोस पड़ोस के कुछ बच्चे कहानी सुनने की आस में उन्हें घेरे हुए थे। इसी लालच में कुछ बड़े बच्चे उनके पैरों की मालिश भी करना शुरू कर दिए थे। तभी अंदर से बिरजू की माँ बाहर आते हुए बोली,