... “भगवान के लिए गांववालों पर तरस खाओ! उन्हे अनाज की सख्त जरुरत है! मां बाबूजी रहते तो वे गांववालों के लिए अन्न-धान्य की कहीं कोई कमी न होने देते! विनती करती हूँ तुम सबसे, उनपर तरस खाओ!!”- श्यामा ने कहा जिसके बांह पकड़कर द्वारपाल हवेली से बाहर निकालने की कोशिश कर रहा था। एक झटके से श्यामा ने उन मुस्टंडे द्वारपालों से हाथ छुड़ाया और हवेली से बाहर निकल आयी। शोरगुल सुनकर हवेली के बाहर गांववालों की भीड़ जमा हो चुकी थी। सबने सुना कि अपने मान-सम्मान की परवाह किए बगैर श्यामा गांववालों की भलाई के लिए हवेली के