*** “काकी राम राम!” – घर में प्रवेश करते हुए पड़ोस की रमा ने विनयधर की मां अभिवादन किया। “राम राम बिटिया, आओ बैठो! बहुत दिन बाद आना हुआ! कहो, कैसी हो?” – विनयधर की बुढ़ी मां आभा ने कहा फिर अपनी बहू सुलोचना को आवाज लगाते हुए उसे गुड़ का ठंडा मीठा शर्बत लाने को कहा। “अरे काकी, ये मैने क्या सुना है तुम्हारे बहू के मायकेवालों के बारे में?” – रसोई में काम करती सुलोचना की तरफ इशारा करते हुए रमा ने अपनी भौवें मटकाते हुए कहा। “बहुत बुरा हुआ इसके मायकेवालों के साथ! इतनी कम उम्र में