..…कुछ महीने और बीते। अब श्यामा का उभरा हुआ पेट दिखने लगा तो गांववालों ने फिर तरह-तरह की बातें बनानी शुरु कर दी। पर इसका चुनाव तो श्यामा ने खुद किया था। वह चाहती तो पेट में ही अपने गर्भ को मार कर सकती थी। पर एक पाप करने के पश्चात महापाप करना उसे गंवारा न था। कानों में रुई डाल और दिल पर पत्थर रख वह दिन काटती रही। किसी की बातों से अब उसे कोई फर्क न पड़ता। वहीं दूसरी तरफ गांव में हैजे से हाहाकार फैलता ही जा रहा था। लोग मर रहे थे। अनाज की कमी