सरकार और प्रशासन में भ्रष्टाचार आज का नहीं, यह सच है, मगर आज सर्वाधिक और सबदूर है, पर इसे छुपाया जा रहा है! रिटायर्ड मास्टर सुदामालाल अड़सठ की उम्र में सरपंच बन गये तो जीवन में फिर से एक नया जोश भर गया। न रूप-रंग न विद्वता न चमक-दमक फिर भी सुदामालाल हीरो बन गए तो अपने समर्पण, कर्तव्य पालन के बल पर। उनका पढ़ाना अब भी सुनाई देता है “चिड़िया मुझे बनादे राम, छोटे पंख लगादे राम। बागों में उड़ जाऊँगी। खूब फलों को खाऊँगी। बैठ डाल पर गाऊँगी। चूँ-चूँ मौज उड़ाऊँगी...”