अनिका घुटने मोड़ कर अपने हाथों से उसे बांध कर उसमे अपना मुंह छुपा कर बिस्तर पर बैठी थी। एक घंटा बीत चुका था उसे वोह सच जाने, वोह कठिन सच। सब कुछ हकीकत में रहा रहा था। पर वोह दिल से चाहती थी की यह सब सपना बन जाए और वोह तुरंत ही इस बुरे सपने से बाहर आ जाए। उसका फोन भी नही मिल रहा था और इस कमरे में कोई लैंडलाइन या कंप्यूटर भी नही था। वोह पूरी तरीके से बाहरी दुनिया से कट चुकी थी सिर्फ और सिर्फ उसकी बुआ की वजह से। मैं ऐसे खाली