------------------------------ नमस्कार स्नेही मित्रों जीवन एक पहेली सजनी ,जितना सुलझाओ ये उलझे ,है रहस्यमय कितनी !मित्रों सोचें तो वृत्त में घूमते ही रह जाते हैं हम और ज़िंदगी का पटाक्षेप हो जाता है | हम सब देखते हैं कि जीवन की युवावस्था तो जैसे-तैसे कट ही जाती है किंतु जब कभी एक ऐसा समय आता है जब हमें अकेलापन भोगना पड़ता है तब हम कितना अकेलापन महसूस करने लगते हैं | ऐसा नहीं है कि युवावस्था में हम अकेलापन महसूस नहीं करते लेकिन अनुपात में यह कम ही होता है | मनुष्य का अकेलापन इस संसार में उसके लिए