46 ----- रिचार्ड गाड़ी का दरवाज़ा खोलकर एक शोफ़र की तरह साइड में खड़ा हो गया था | उसकी सारी हरकतें भानु को आशिकों जैसी लगतीं | वह कई बार सोचती भी थी कि आखिर रिचार्ड को उससे क्या मिलेगा ? हम -एक दूसरे को प्यार करते हैं, ध्यान रखते हैं तो दोनों ही ओर से होता है न ! लेकिन यहाँ तो रिचार्ड ही हर समय भानुमति की सहायता के लिए खड़ा नज़र आता था | कोई भी रिश्ता एक ओर से नहीं बनता और टिकता तो हरगिज़ नहीं | जब तक एक-दूसरे को समझा न जाए और समय