नर्मदा अपनी तबीयत का हाल यमुना से छुपा लेना चाहती थी। वह कुछ कहे उससे पहले ही यमुना ने कहा, “हाँ-हाँ, बोलो-बोलो, बोल दो झूठ… कि तबीयत बिल्कुल ठीक है ताकि तुम्हें पानी लाने से मैं रोक ना सकूं और फिर गंगा-अमृत का ज़िक्र ना निकल जाए।” नर्मदा ने कहा, “अरी यमुना बावरी हो गई है क्या? थोड़ा बहुत नरम-गरम तो होता ही रहता है। कोई बिस्तर से उठ ना सकूं ऐसी बीमार नहीं हूँ मैं। तब यमुना ने अपनी अम्मा का हाथ पकड़ कर कहा, “लाओ अम्मा आज पानी मैं भर लाती हूँ।” “अरे नहीं यमुना बहुत दूर जाना