अब उसके प्रति और गहरी सम्वेदना उमड़ पड़ी थी। और मैं उसे खोजता उसी बेडरूम में जा पहुंचा। वहां वह तकिए में सिर दिए उदास पड़ी थी। पलँग पर बैठ प्यार से सिर सहलाते मैंने कहा, तुम्हें गलतफहमी भी तो हो सकती है, तुमने कैसे जाना।' -उनके चरित्र से, व्यवहार से...' उसने दुख में डूबे स्वर में कहा, 'ऐसे लोग जो अपोजिट के प्रति आकर्षित नहीं होते, अपने ही जेंडर की ओर जिनका झुकाव होता है, गे नहीं तो और क्या!' -तो फिर शादी क्यों? मैंने पूछा। -समाज में अस्वीकार्यता के चलते इन्हें अपनी पहचान छुपाकर जीना पड़ता है...। ..