कासिम के जाने के बाद दामिनी अपनी चेयर पर पीछे की तरफ झुक कर छत की तरफ देखती हुई कुछ सोच रही थी ..उसकी आंखों से गर्म गर्म आंसू पलकों के बीच से ढुरकने ही वाले थे कि उसने अपने बायें हाथ की अंगुली के नाखून से आंसुओं के बिन्दुओ को लेकर उन्हें छिटक दिया .. दामिनी ने अपने आपको संभाला ..लंबी गहरी श्वास ली.. टेबिल पर रखी फाईल देखने लगी । मन मे अंतर्द्वंद शुरू हो गया ..अपने आपसे बाते करने लगी ..क्या नसीब भी होता है ..? शायद होता है .. मेरे नसीब में दाम्पत्य सुख शायद है